Short Stories....
सत्य नाडेला की 7 लघु कथाएं:
Short Stories ..सत्य नाडेला की 7 लघु कथाएं |
1✨✨✨✨
मुस्कुराती माज़ी
✨✨✨
अपने रिसर्च के लिए मैंने दादी का इंटरव्यू लिया। उनके जवाब से मुझे पूरा मनोविज्ञान समझ में आ गया। मेरा सवाल था, सफलता क्या है? दादी ने पोपली आवाज़ में बताया – मुड़कर ज़िंदगी को देखो। जो यादें लबों पर मुस्कान बिखेर दें, वही सफलता हैं।
2✨✨✨✨
दर्द-ए-मोहब्बत
✨✨✨✨
मैं सड़क किनारे फुटपाथ पर बिलख रहा था। मेरी गोद में मेरा प्यारा डॉगी था। कार की चपेट में आकर कुचला गया था। अचानक उसने अपना सिर उठाया। मेरे चेहरे से आंसुओं को चाटा और लुढ़क गया।
3✨✨✨✨
साथ
✨✨✨✨
मैंने मां को इतना खुश कभी नहीं देखा था। उसके एक ओर पिताजी और दोनों बहनें थीं। दूसरी ओर हम तीनों भाई। मां मुस्कुराते हुए बुदबुदाई, कितनी भाग्यशाली हूं मैं! बरसों बाद मेरा पूरा परिवार मेरे साथ है। और उसका जिस्म ठंडा पड़ गया।
4✨✨✨✨
चुम्बन
✨✨✨✨
पिताजी का माथा चूमते ही मैं चौंक उठा। याद आया, अंतिम बार मैंने उन्हें तब चूमा था, जब मैं छोटा बच्चा था और वो ज़िंदा थे।
5✨✨✨✨
मैंने मां को इतना खुश कभी नहीं देखा था। उसके एक ओर पिताजी और दोनों बहनें थीं। दूसरी ओर हम तीनों भाई। मां मुस्कुराते हुए बुदबुदाई, कितनी भाग्यशाली हूं मैं! बरसों बाद मेरा पूरा परिवार मेरे साथ है। और उसका जिस्म ठंडा पड़ गया।
4✨✨✨✨
चुम्बन
✨✨✨✨
पिताजी का माथा चूमते ही मैं चौंक उठा। याद आया, अंतिम बार मैंने उन्हें तब चूमा था, जब मैं छोटा बच्चा था और वो ज़िंदा थे।
5✨✨✨✨
खुशियां
✨✨✨✨
दो दिनों से मुझे ज़िंदगी से शिकवा नहीं है। उस 27 वर्षीय महिला के उल्लास ने उसी वक्त मुझे जीना सिखा दिया, जब वो अपनी 2 साल की बच्ची से खेल रही थी। अस्पताल के कैंसर वार्ड में ऐसे हंसी कभी नहीं गूंजी थी। आज उसके घरवाले उसे अंतिम संस्कार के लिए ले गए हैं।
6✨✨✨✨
परोपकार
✨✨✨✨
“अरे, संभल के...”
“सीढ़ियां ध्यान से चढ़ना...”
दो दिनों से मुझे ज़िंदगी से शिकवा नहीं है। उस 27 वर्षीय महिला के उल्लास ने उसी वक्त मुझे जीना सिखा दिया, जब वो अपनी 2 साल की बच्ची से खेल रही थी। अस्पताल के कैंसर वार्ड में ऐसे हंसी कभी नहीं गूंजी थी। आज उसके घरवाले उसे अंतिम संस्कार के लिए ले गए हैं।
6✨✨✨✨
परोपकार
✨✨✨✨
“अरे, संभल के...”
“सीढ़ियां ध्यान से चढ़ना...”
पांव टूटने पर मुझे बैसाखियों का सहारा लेना पड़ा था। इसलिए वो मेरी मदद कर रहा था। मेरी किताबें उसकी गोद में थीं। मुझे क्लास तक पहुंचाने के बाद उसने मुस्कुराते हुए मुझे ढाढस बंधाया, “तुम जल्द ठीक हो जाओगे”। मैं उसे एकटक देखता रहा और उसने अपना व्हील चेयर आगे बढ़ा दिया।
7✨✨✨✨
मिलजुल कर...
✨✨✨✨
एक दिन केन्या में ज़िम्बाबवे का एक शरणार्थी मिला। दुबला-पतला, दयनीय चेहरा। उसने बताया कि 3 दिनों से उसने कुछ नहीं खाया है। मैं आधी सैंडविच खा चुका था। बची हुई आधी सैंडविच उसे बढ़ा दी। वो तपाक से बोल उठा, “तुम भी खाओ न, मिलजुल कर खाते हैं।”
मुस्कुराईये, यही ज़िंदगी है...
7✨✨✨✨
मिलजुल कर...
✨✨✨✨
एक दिन केन्या में ज़िम्बाबवे का एक शरणार्थी मिला। दुबला-पतला, दयनीय चेहरा। उसने बताया कि 3 दिनों से उसने कुछ नहीं खाया है। मैं आधी सैंडविच खा चुका था। बची हुई आधी सैंडविच उसे बढ़ा दी। वो तपाक से बोल उठा, “तुम भी खाओ न, मिलजुल कर खाते हैं।”
मुस्कुराईये, यही ज़िंदगी है...
No comments:
Post a Comment