माया का भ्रम
आत्मा की रहस्य - यात्रा
माया का भ्रम |
माया का भ्रम फेन - जैसा है
जो समुद्र में फिर से मिल जाता है ।
न कोई माँ है , न पिता , न सम्बंधी ;
समुद्र - फेन की तरह , ये क्षणभंगुर है ।
और , जैसे समुद्र - फेन समुद्र में मिल जाता है ,
पांच तत्वों से बना यह मूल्यवान् शरीर
अदृश्य हो जाता है।
कौन बता सकता है कि कितने क्षणभंगुर रूप
इसी देहबद्ध आत्मा ने ग्रहण किये है ?
कृष्णकृपामूर्ति श्री श्रीमद्
ए.सी. भक्तिवेदान्त स्वामी प्रभुपाद की
एक बंगाली कविता
No comments:
Post a Comment