कभी दूर जाके रोये....
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कभी दूर जाके रोये.... |
कभी दूर जाके रोये कभी वो पास आके रोये मेरा दिल दुखाने वाले मेरा दिल दुखा के रोये
अभी बनने भी न पाया जल गया आशियाना मेरा घर जलाने वाले मेरा घर जला के रोये
जिस रोज मेरे सपने कहीं नीलाम हो रहे थे कभी गिड़गिड़ा के रोए कभी लड़खड़ा के रोये
मेरी देह जल रही थी मेरी आंख रो रही थी हम अपनी चश्मेनम को जी भर रुला के रोये
जब बेजुबां जवानी सोने से तुल रही थी हम अपने आंसुओं की दरिया बहा के रोये
जब रात थी अंधेरी सूरज को ढूंढ लाए मेरे दोस्त जानते हैं सबको हंसा के रोये
ऐसी भी वक्त आया था हमारी जिन्दगी में कि कभी छटपटा के रोये कभी तिलमिला के रोये
#poem
#kavita
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