जब शाम सुहानी....
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जब शाम सुहानी.... |
जब शाम सुहानी होती है मदहोश जवानी होती है
जो झूठे वायदे करते हैं उन्हें बात बनानी होती है
जिन्हें मेलमिलाप नहीं आता उन्हें आग लगानी होती है
उस वक्त को क्या कहिए जब प्रीत दीवानी होती है
जिंदगी को रोक न पाओगे ये तो आनी जानी होती है
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